धोनी के क्रिकेट कैरियर की तीन बड़ी गल’ती जो भारतीय क्रिकेट के लिए काफी लकी साबित हुई है

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बात अगर भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तान का किया जाए तो महेंद्र सिंह धोनी का नाम सबसे पहले और अव्वल स्थान पर लिया जाता है, क्योंकि महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन टीम, T20 वर्ल्ड कप का खिताब, वनडे विश्वकप का खिताब और चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जिताया है। महेंद्र सिंह धोनी आज भी आईपीएल में अपनी फ्रेंचाइजी टीम चेन्नई सुपर किंग्स के लिए कप्तानी का दारोमदार संभाल रहे हैं। चेन्नई की टीम को अपनी अकेले कप्तानी के बदौलत तीन बार विजेता बना चुके हैं। महेंद्र सिंह धोनी को दुनिया का सबसे चतुर कप्तान और खिलाड़ी भी माना जा चुका है। क्योंकि महेंद्र सिंह धोनी कई बार हारे हुए मुकाबले में अपनी चतुराई के चलते जीत दिला चुके हैं।

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धोनी की कप्तानी के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनकी द्वारा की गई कई गलतियां जो भारतीय खिलाडियों ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के महान क्रिकेटर बना चुकी हैं। रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे महान खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी के हि खोज है। मौजूदा समय में भी महेंद्र सिंह धोनी आईपीएल मैं अपनी फ्रेंचाइजी टीम के खिलाड़ियों को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। आज इस खबर के माध्यम से हम आपको महेंद्र सिंह धोनी के द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क्रिकेट खेलते समय लिए गए तीन ऐसे बड़े रिस्क के बारे में बताएंगे जो एक समझदार व्यक्ति ही ले सकता है।

2007 के वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में जोगिंदर शर्मा से गेंदबाजी कराना- महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम सन 2007 का T20 विश्व कप का फाइनल मुकाबला जीती थी। उस समय महेंद्र सिंह धोनी के पास ज्यादा अनुभव नहीं था। फिर भी महेंद्र सिंह धोनी ने एक बहुत बड़ा रिस्क लेते हुए मीडियम पेसर गेंदबाज जोगिंदर शर्मा को टी-20 विश्व कप के फाइनल मुकाबले का आखिरी ओवर थमाया। जिसका नतीजा यह निकला कि, जोगिंदर शर्मा ने अच्छी गेंदबाजी करते हुए भारतीय टीम को t20 विश्व कप का पहला खिताब जीताने में बहुत बड़ा योगदान दिया था।

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2011 के वर्ल्ड कप के दौरान युवराज की जगह खुद बल्लेबाजी करना- सन 2011 के विश्व कप में भारतीय टीम के पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी युवराज सिंह का बहुत बड़ा योगदान रहा। युवराज ने बल्ले और गेंद से काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। विश्व कप के पहले युवराज सिंह पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते थे लेकिन 2011 के विश्वकप के दौरान महेंद्र सिंह धोनी खुद पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए आते थे और युवराज सिंह को बतौर सीनियर बल्लेबाज का जिम्मा दिए थे। जिसके चलते महेंद्र सिंह धोनी ने अपने ऊपर ज्यादा दारोमदार संभालते हुए विश्व कप के फाइनल मुकाबले में 91 रनों की पारी खेलकर टीम को जीत दिलाया था।

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इशांत शर्मा से चैंपियंस ट्रॉफी 2013 के 18वें ओवर में गेंदबाजी कराना- भारतीय क्रिकेट टीम के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज इशांत शर्मा जो अपनी खराब फॉर्म की वजह से काफी लंबे समय से टीम से बाहर चल रहे हैं, को महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2013 में समाप्त हुए चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में 18 ओवर में गेंदबाजी सौंपा था। इसका नतीजा यह निकला कि इशांत शर्मा ने अपने उम्र में छोटे होने के बावजूद भी अच्छी गेंदबाजी करते हुए टीम को विजेता बनाने में बड़ा योगदान किए थे, और अपने कप्तानी द्वारा दिखाए गए विश्वास पर खड़े उतरे।

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