किसी भी टीम का कप्तान अपनी टीम में खिलाड़ियों को बाहर और अंदर कर सकता है। जब भी टीम का चयन किया जाता है तो चयनकर्ता कप्तान से खिलाड़ियों को चयन करने से पहले सलाह मशवरा जरूर करते हैं। एक कप्तान होने के रूप में खिलाड़ी के ऊपर यह जिम्मेवारी रहता है, कि अपने खिलाड़ियों के साथ तालमेल बिठाना और मुकाबले जीतना उस खिलाड़ी का पहला कर्तव्य रहता है। कई बार टीम के खिलाड़ियों के बीच काफी ती’खी बहस जारी रहती है, और टीम का अंदरूनी मामला मीडिया के सामने बाहर नहीं आ पाता। लेकिन कभी-कभी खिलाड़ी खुद मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कप्तान और टीम मैनेजमेंट के साथ हुए बर्ताव का जिक्र कर देते हैं।
ऐसा कोई बार देखा गया है कि कई बड़े-बड़े नामी खिलाड़ी कप्तान और टीम मैनेजमेंट से मत’भेद की वजह से अपना क्रिकेट कैरियर खत्म कर चुके हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सभी खिलाड़ी अपने देश के लिए क्रिकेट खेलते हैं, और एकजुट होकर सभी खिलाड़ियों को अच्छा प्रदर्शन करना होता है। लेकिन जब भी टीम खराब प्रदर्शन करती है, तो कप्तान के साथ-साथ टीम मैनेजमेंट को दर्शकों और मीडिया के सामने बयान देना पड़ता है। ऐसे में टीम के कप्तान के ऊपर काफी ज्यादा दबाव बना रहता है।
कई बार खिलाड़ियों के बीच की आपसी मत’भेद खिलाड़ी एक दूसरे से बातचीत कर खुद ही सुलझा लेते हैं, लेकिन कई बार यह बहस इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि टीम के बड़े मैनेजमेंट अधिकारियों को मामले को सुलझाना पड़ता है। आज इस खबर के माध्यम से हम आपको ऐसे पांच बेहतरीन खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिनका क्रिकेट कैरियर कप्तान और क्रिकेट बोर्ड से मतभेद की वजह से खत्म हो गया। यह सभी खिलाड़ी अपने समय के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी रह चुके हैं।
गौतम गंभीर- भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दाएं हाथ के सबसे बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक गौतम गंभीर का क्रिकेट कैरियर साल 2012 में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से हुए मत’भेद के बाद समाप्त होते चला गया। धोनी के साथ गौतम गंभीर का मत’भेद इतना ज्यादा बढ़ गया था, कि टीम मैनेजमेंट को इन दोनों के मामलों में घुसना पड़ा था। इन दोनों के विवा’द के बाद गौतम गंभीर को दोबारा भारतीय टीम में क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिल पाया। अंततः गौतम गंभीर अपने क्रिकेट कैरियर से सन्यास ले लिए।
वीरेंद्र सहवाग- सन 2011 के वनडे एकदिवसीय विश्वकप के दौरान वीरेंद्र सहवाग काफी बढ़िया प्रदर्शन कर भारतीय टीम को विश्व कप जिताने में मदद किए थे। साल 2012 में वीरेंद्र सहवाग और महेंद्र सिंह धोनी के बीच सहवाग की बल्लेबाजी शैली को लेकर ती’खी बहस हुई थी। वीरेंद्र सहवाग अपने कैरियर के शुरुआती दिनों से ही तेज तर्रार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। ऐसे में महेंद्र सिंह धोनी के साथ वि’वाद के बाद वीरेंद्र सहवाग को टीम से बाहर होना पड़ा और सहवाग अंततः अपने क्रिकेट कैरियर से संयास ले लिए।
शोएब अख्तर- रावलपिंडी एक्सप्रेस पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजों में से एक पूर्व खिलाड़ी शोएब अख्तर का नाम इस सूची में तीसरे नंबर पर शामिल है। Shoaib Akhtar अपनी गेंदबाजी से दुनिया के सभी बल्लेबाजों को काफी परेशान किए हैं। Shoaib Akhtar अपने पूरे क्रिकेट कैरियर के दौरान पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड से बहस करते हुए दिखे है। साल 2011 के वनडे एकदिवसीय विश्वकप के सेमीफाइनल मुकाबले के बाद शोएब अख्तर की पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड से काफी तीखी बहस हुई थी, जिसके बाद शोएब अख्तर समय से पहले ही अपने क्रिकेट कैरियर का समापन कर दिए।
अंबाती रायडू- इस सूची में चौथा नाम भारतीय टीम के होनहार मध्यक्रम के बल्लेबाज अंबाती रायडू का नाम शामिल है। अंबाती रायडू साल 2019 के विश्व कप के दौरान भारतीय टीम में नहीं चुने जाने के चलते काफी नाराज थे। साल 2019 के विश्व कप के पहले अंबाती रायडू अपनी बेहतरीन फॉर्म में थे और वे नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए तैयार थे। लेकिन भारतीय टीम मैनेजमेंट ने उनकी जगह ऑलराउंडर खिलाड़ी विजय शंकर को टीम में शामिल किया था। इस बात से नाराज होकर अंबाती रायडू अपने क्रिकेट कैरियर को समाप्त कर लिए।
केविन पीटरसन- इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व दाएं हाथ के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक केविन पीटरसन का नाम इस सूची में पांचवें नंबर पर मौजूद है। Kevin Pietersen जब इंग्लैंड क्रिकेट टीम के कप्तान थे, तो इंग्लैंड क्रिकेट टीम बोर्ड से केविन पीटरसन की किसी बात को लेकर काफी बहस हुई थी। जिसके बाद केविन पीटरसन को तुरंत कप्तान और टीम से बाहर कर दिया गया था। ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ हुए एशेज सीरीज के दौरान इंग्लैंड की टीम को हार का सामना करना पड़ा था और इसी सीरीज के बाद केविन पीटरसन का बोर्ड के साथ बहस शुरू हो गया था।