भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी सौरव गांगुली, मौजूदा समय में आईसीसी के अध्यक्ष है। साल 1999 में भारतीय टीम की कप्तानी संभालने वाले सौरव गांगुली जबसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किए, भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के खेलने का तरीका पूरी तरह बदल गया। सौरव गांगुली का यह मानना था, कि बल्लेबाज निडर होकर बल्लेबाजी करें और किसी भी गेंदबाज की गेंदों पर चौके या छक्के लगाने के लिए डरे नहीं। बाएं हाथ के बल्लेबाज सौरव गांगुली भी एक निडर बल्लेबाज थे, और वें गेंदबाजों को चौके छक्के लगाने में कतराते नहीं थे।
लगभग 6 साल तक भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले सौरव गांगुली अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को एक भी आईसीसी का खिताब तो नहीं जीता पाए लेकिन भारतीय टीम का पूरा हुलिया बदल दिए थे। सौरव गांगुली की कप्तानी में कुछ भारतीय खिलाड़ी अर्श से फर्श तक पहुंच गए। सौरव गांगुली ने इन खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हुए एक दिग्गज क्रिकेटर बनने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महेंद्र सिंह धोनी- भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने सौरव गांगुली की कप्तानी में ही अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला खेला था। साल 2004 में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पहला मुकाबला खेलने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने शुरुआती के दिनों में काफी स्ट्रगल किया था। गांगुली ने ही अपनी कप्तानी में महेंद्र सिंह धोनी को पांचवें नंबर की पोजीशन से हटाकर तीन नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा, और उसके बाद से महेंद्र सिंह धोनी ने अपने कप्तान की बातों पर खड़ा उतरते हुए काफी शानदार प्रदर्शन किया।
वीरेंद्र सहवाग- भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज और सबसे धुआंधार बल्लेबाजों में से एक वीरेंद्र सहवाग साल 2002 में पहली बार सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम में शामिल किए गए थे। वीरेंद्र सहवाग भारतीय टीम में और मध्यक्रम के बल्लेबाज 6 नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरते थे। लेकिन सौरव गांगुली ने ही, उन्हें इंग्लैंड के दौरे पर बातौर ओपनर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा और वीरेंद्र सहवाग अपने कप्तान की बातों पर खड़ा उतरे और एक महान बल्लेबाज बने।
हरभजन सिंह- हरभजन सिंह का नाम भारतीय क्रिकेट इतिहास के सफल स्पिनरों में लिया जाता है। भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट मुकाबले खेलने वाले हरभजन सिंह ने टेस्ट क्रिकेट में 400 से ज्यादा विकेट चटकाए हैं। हरभजन सिंह ने अपने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। उस समय भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली थे, और वे हरभजन सिंह का खासा सपोर्ट किए। उन्हें महान खिलाड़ी बनाने में काफी अहम भूमिका अदा किए। हरभजन सिंह टेस्ट क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए हैट्रिक विकेट चटकाने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।
युवराज सिंह- भारतीय क्रिकेट टीम के सिक्सर किंग युवराज सिंह ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत महज 18 साल की उम्र में साल 2000 में किया था। गांगुली की कप्तानी में युवराज सिंह बातौर बल्लेबाज अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत किए थे। युवराज सिंह उस समय काफी यंग थे, और अपने कप्तान के भरोसे पर खड़ा उतरते हुए काफी अच्छा प्रदर्शन किए। बाद में युवराज सिंह बातौर ऑलराउंडर खिलाड़ी भारतीय टीम के अहम हिस्सा थे। युवराज सिंह के ऑलराउंडर प्रदर्शन के बदौलत भारतीय टीम ने साल 2002 के नैटवेस्ट का फाइनल मुकाबला, साल 2007 का T20 वर्ल्ड कप और साल 2011 का वनडे एकदिवसीय का वर्ल्ड कप जीता था।
अशोक डिंडा- भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दाएं हाथ के तेज गेंदबाज अशोक डिंडा ने भी अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत सौरव गांगुली की कप्तानी में ही किया था। हालांकि अशोक डिंडा भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल में ज्यादा मुकाबले नहीं खेल पाए लेकिन घरेलू क्रिकेट में 400 से ज्यादा विकेट चटकाए हैं। अशोक डिंडा घरेलू क्रिकेट टीम के एक महान खिलाड़ी हैं।