भारतीय टीम में एक से बढ़कर एक नंबर खिलाड़ी रहे हैं। महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम में कई दिग्गज खिलाड़ियों को खेलते हुए देखा गया है जिनको धोनी से भी ज्यादा अनुभव रहा है। कुछ बल्लेबाज तो ऐसे भी थे जो भारतीय टीम की कप्तानी की भी कमान संभाल चुके थे। ऐसे में महेंद्र सिंह धोनी उनके सामने बिल्कुल नए थे। समय के साथ-साथ महेंद्र सिंह धोनी को भी अनुभव होते गया और वे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की तरफ बढ़ते गए और भारतीय टीम की कप्तान भी बखूबी कमान संभाले। भारतीय टीम के लिए महेंद्र सिंह धोनी का योगदान बेहद शानदार रहा है जो आज भी काफी चर्चा का विषय बने रहता है।
गौतम गंभीर, युवराज सिंह जैसे अनेकों दिग्गज खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम से अंदर बाहर होते हुए दिखे हैं। चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी के समय में महेंद्र सिंह धोनी के लिए खेलने वाले कई खिलाड़ी जैसे मोहित शर्मा, मनप्रीत गोनी भारतीय टीम के लिए खेल चुके हैं। ऐसा भी देखा गया है कि महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में कई खिलाड़ी चुपचाप सन्यास ले कर चले गए, उन्हें विदाई मैच भी खेलने का मौका नहीं दिया गया। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम ऐसे ही 3 खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्हें वनडे मैच में विदाई मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया।
ज्यादातर मौके पर यह देखा गया है, कि क्रिकेट खेलने वाले बेहतरीन खिलाड़ियों को उन्हें फेयरवेल मैच खेलने का मौका दिया जाता है। लेकिन इस सूची में जिन खिलाड़ियों का नाम है, वे अपने जमाने की सबसे बेहतरीन क्रिकेटर रह चुके हैं लेकिन इन खिलाड़ियों को फेयरवेल वेल मैच में खेलने का मौका नहीं मिला। ये, हैं महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में संन्यास लेने वाले दिग्गज क्रिकेटर जो अपना आखिरी मुकाबला बतौर फेयरवेल नहीं खेल पाए
सचिन तेंदुलकर- क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को एकदिवसीय क्रिकेट में विदाई मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया था। वे अपना आखिरी एकदिवसीय मुकाबला 2012 के एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में खेले थे। उसके बाद सचिन तेंदुलकर को एकदिवसीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला। आज तक कोई यह नहीं जान पाया कि उस समय सचिन तेंदुलकर की चयनकर्ताओं से क्या बात हुई थी। वे अचानक ही दिसंबर 2012 में सन्यास की घोषणा कर दिए, जिससे सभी को मानो सदमा ही लग गया।
वीरेंद्र सहवाग- वीरेंद्र सहवाग को भी अक्सर सचिन तेंदुलकर के साथ खेलते हुए देखा गया है। उनके साथ भी वही हुआ जो सचिन तेंदुलकर के साथ हुआ था। वीरेंद्र सहवाग टेस्ट क्रिकेट में दो दोहरा शतक और एकदिवसीय क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने का कारनामा कर चुके थे। 2013 में जनवरी महीने में ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ एकदिवसीय मुकाबले में खेलने के लिए सहवाग ने इंतजार किया लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। उसके बाद उन्हें कोई भी वनडे मैच खेलने के नहीं दिया गया। 20 अक्टूबर 2015 को वीरेंद्र सहवाग ने क्रिकेट से संन्यास की लेने की घोषणा कर दिए।
जहीर खान- जहीर खान 2003 और 2011 में वर्ल्ड कप के दौरान शानदार प्रदर्शन किए थे। भला ऐसे गेंदबाज को कोई कैसे भूल सकता है। वे पल्लेकेले में श्रीलंका के खिलाफ अपना आखिरी एकदिवसीय मुकाबला खेले थे, उसके बाद उन्हें कोई भी वनडे मैच खेलने को नहीं मिला। वे इसके लिए कुछ समय तक इंतजार भी किए। 2015 में जाहिर खान क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दिए। भारतीय टीम के महान खिलाड़ी रह चुके जाहिर खान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में सन्यास लेने वाले ऐसे तीसरे दिग्गज खिलाड़ी रहे थे।
इन भारतीय खिलाड़ियों के अलावा विश्व क्रिकेट के कई ऐसे बड़े दिग्गज क्रिकेटर हैं, जिन्हें सन्यास लेते वक्त उनकी टीम मैनेजमेंट द्वारा फेयरवेल मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला। कई बार ऐसा देखा गया है कि खिलाड़ी अपनी खराब फॉर्म की वजह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेलता है, लेकिन उसकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम मैनेजमेंट केवल उस खिलाड़ी के लिए एक मुकाबले का आयोजन करा कर फेयरवेल मुकाबला खेलते हुए उस खिलाड़ी को सन्यास लेने के लिए कहती है। क्रिकेट में बढ़ती कंपटीशन के चलते खिलाड़ियों को क्रिकेट में फेयरवेल मुकाबला नहीं मिलना आम बात हो गया है।