जाने कैसे विराट कोहली सचिन तेंदुलकर बनने की वजाय बन गए विनोद कांबली

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जाने कैसे विराट कोहली सचिन तेंदुलकर बनने की वजाय बन गए विनोद कांबली kohli become binod kambli

सभी कामों की तरह क्रिकेट से भी एक समय के बाद जुदा होना ही पड़ता है। अपनी इच्छा अनुसार सभी क्रिकेटर सन्यास लेने की घोषणा करते हैं, और लेते भी हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा किया है विराट कोहली ने, वे हाल ही में संपन्न हुए फ्रीडम सीरीज के पश्चात टेस्ट कप्तानी से हटने का निर्णय लिए हैं। विराट कोहली ने ट्वीट किया है कि “बीते सालों से लगातार कड़ी मेहनत और हर रोज टीम को सही दिशा में पहुंचाने की कोशिश रही। मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया और कोई भी कसर नहीं छोड़ी। हर चीज को किस समय रुकना पड़ता है और मेरे लिए भारत की टेस्ट कप्तानी छोड़ने का यह सही समय है।”

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विराट कोहली द्वारा किए गए इस ट्वीट के बाद लोगों की इतनी प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गया, इसका जिक्र करना इतना आसान नहीं है क्योंकि यह लिस्ट बहुत लंबा है। एक ऐसा समय था जब विराट कोहली की तुलना सचिन तेंदुलकर से की जा रही थी, कहा जा रहा था कि तेंदुलकर की जगह कोहली लेंगे। लेकिन आज के समय में देखा जाए तो विराट कोहली और विनोद कांबली में कोई खास अंतर नहीं रहा, फर्क इतना ही है कि विनोद कांबली के मुताबिक कोहली के नाम ज्यादा रिकॉर्ड दर्ज है।

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साल 2016 में विराट कोहली के आक्रामकता और प्रतिभा के आधार पर भारतीय टीम की कमान उनके हाथों सौंपी गई। उस समय भारतीय टीम विश्व की सबसे दमदार टीम में शामिल हो चुकी थी, जिसका श्रेय सबसे अधिक महेंद्र सिंह धोनी को जाता है। धोनी को ऐसा लगा कि भारतीय टीम का कमान अब किसी नए खिलाड़ी को हाथों सौंपने चाहिए, तब अनिल कुंबले के जम्में कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई और वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाए।

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उस समय विराट कोहली की भी प्रतिभा सबके सामने निखर कर सामने आई, वह एक अग्रमक और कुशल बल्लेबाज के रूप में उभरकर विश्व में प्रसिद्ध हो गए थे। कई क्रिकेट प्रेमी उनमें सचिन तेंदुलकर की छवि देखने लगे थे, क्योंकि कोहली का शुरुआती रिकॉर्ड भी बहुत खास रहा था। वे अपने आक्रामकता से ताबड़तोड़ रन बनाकर टीम को कई बार जीत भी दिलाए। मानो वे कोहली सौरव गांगुली और वीरेंद्र सहवाग से भी बहुत आगे निकल चुके थे। आगे 2017 का भी शुरुआत काफी शानदार रहा, भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर अपना झंडा गारा।

धीरे-धीरे विराट कोहली और निखरते गए, वह एक उत्कृष्ट बल्लेबाज के रूप में उभरकर सबके सामने आए। उस साल कोहली कुल 2800 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय रन बनाकर एक नया रिकॉर्ड अपने नाम किए। यहां तक कि वे 30 वर्ष की आयु से पहले 1000 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी भी बने। उस समय भारत को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। उस टीम में विराट कोहली भी शामिल थे, जिन पर बहुत सारे सवाल उठाए जाने लगे लेकिन उनके शानदार प्रदर्शन के कारण बहुत लोगों ने उन्हें सराहा भी। बहुत जल्द विराट कोहली एक करिश्माई खिलाड़ियों के रूप में अपनी नई पहचान बना लिए, यहां तक कि 2018 में अपने जीत के प्रतिशत से सौरव गांगुली को भी पीछे छोड़ कर आगे निकल पड़े। दक्षिण अफ्रीका में वनडे सीरीज मैच को अपने नाम करके कोहली ने एक और नया इतिहास रच दिया। ऑस्ट्रेलिया को पहली बार ऑस्ट्रेलिया में ही हराकर भारतीय टीम के लिए एक और नया इतिहास कायम कर दिया, उसके बाद विराट कोहली देश के लिए एक लीजेंड बन गए।

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कहा जाता है “सब का सारा समय एक समान नहीं रहता है” वैसे ही विराट कोहली के साथ भी हुआ। देखा जाए तो उनके आक्रामकता में कोई कमी नहीं रही लेकिन एकाग्रता और अनुशासन की उनमें बहुत ज्यादा कमी थी। यह कई टूर्नामेंट और चैंपियंस ट्रॉफी में साफ-साफ दिखने लगा। कोहली के नेतृत्व में पहले विश्व कप 2019 और 21 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में पहुंचने के बाद भी भारतीय टीम को करारी हार का सामना करना पड़ा। इससे यह साफ-साफ कहा जा सकता है कि विराट कोहली के नेतृत्व में काफी कमी थी, जिसके बाद यूजर्स कोहली के लिए अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दिए।

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अगर विराट कोहली और विनोद कांबली में अंतर देखा जाए तो कुछ खास नहीं है, दोनों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं और दोनों आक्रामक बल्लेबाज भी थे। उन दोनों के रिकॉर्ड भी काफी शानदार थी। विनोद कांबली भारतीय क्रिकेट के आधार स्तंभ भी कहे जाने लगे, वे सचिन तेंदुलकर के साथ खेले और उन्हीं के साथ भारतीय क्रिकेट में आए हुए थे। सचिन तेंदुलकर और कांबले साथ रहकर भी एक जैसी पहचान नहीं बना पाए। सचिन को क्रिकेट का भगवान कहा जाने लगा लेकिन कांबले उनके जैसा नाम नहीं कमा पाए। कहा जाता है कि सफलता प्राप्त करने के बाद उसे अपने सर पर नहीं चढ़ने देना चाहिए। लेकिन विनोद कांबले ने ऐसा ही किया साथ ही विराट कोहली ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया। इनकी सफलता ही इनकी कमजोरी बनने लगी, जब ऐसा किसी भी व्यक्ति के साथ होता है तो उनके विकास पर ग्रहण लग जाता है।

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विराट कोहली की तुलना उनके चाटुकार सौरव गांगुली से करते हैं, तब ऐसा लगता मानो हीरे की तुलना कोयले से की जा रही है। सौरव गांगुली के बदौलत ही भारतीय टीम दुनिया में एक अलग रिकॉर्ड स्थापित की है। वे पूरी दुनिया से भारत को जितना सिखाए, उनकी बदौलत सभी के अंदर का विजेता बाहर निकल कर सामने आया। गांगुली के कारण ही भारतीय टीम के खिलाड़ी जहीर खान, आशीष नेहरा, महेंद्र सिंह धोनी, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, अजीत अगरकर, वीरेंद्र सहवाग, इरफान पठान जैसे धाकड़ खिलाड़ी मिले, उन्हें भला कोई क्या ट्रोल करेगा।

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आज जब विराट कोहली को कप्तानी से हटना पड़ रहा है, तो बहुत कम ही लोग इस बात से दुखी हैं। यह बात गर्व करने वाली नहीं बल्कि शर्म की है लेकिन इसके जिम्मेदार स्वयं विराट कोहली ही है। एक ऐसा भी समय था जब कोहली सचिन तेंदुलकर की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए आगे आए थे, लेकिन अंत में वे विनोद कांबली से कुछ आगे नहीं निकल पाए।

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