भारतीय क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहली बार साल 2000 में सौरव गांगुली की कप्तानी में पहुंची थी। 19 अक्टूबर साल 2000 को चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला भारत बनाम श्रीलंका की टीम से हुआ था। फाइनल मुकाबले के लिए दोनों टीमें काफी तग’ड़ी थी। लेकिन फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम श्रीलंका टीम के हाथों बुरी तरह हार गई। टीम का खिताब जीतने का सपना चकनाचूर हो गया। 300 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही भारतीय टीम इस मुकाबले में मात्र 54 रन ही बना पाई और लगभग 245 रनों से इस मुकाबले को गवा बैठी। उस समय भारतीय क्रिकेट टीम का यह एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे कम स्कोर था।
इतने बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम का लगभग 10 खिलाड़ी दहाई के आगे तक नहीं पहुंच पाई। इस मुकाबले में बल्लेबाज रोबिन सिंह ही एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे जो दहाई के आंकड़े तक पहुंचे थे। रोबिन सिंह ने इस मुकाबले में 11 रन बनाया था। इस मुकाबले को बीते लगभग 21 साल हो गए और आज भी भारतीय टीम को यह हार बुरी तरह ख’लता है। इस मुकाबले में जीत के नायक श्रीलंकन टीम के बाएं हाथ की सलामी बल्लेबाज सनत जयसूर्या रहे थे। श्रीलंकाई टीम की यह जीत भारतीय टीम के खिलाफ एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे बड़ी वनडे जीत रही। इस मुकाबले में भारतीय टीम को श्रीलंकाई टीम ने 245 रनों से हराया था। इस मुकाबले में भारतीय टीम मात्र 54 रनों पर ऑल आउट हो गई थी, और एक नया कीर्तिमान बनाई। इसके पहले भी भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई टीम के हाथों सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर साल 1981 में मात्र 63 रनों पर ऑल आउट हो गई थी। इस मुकाबले में भारतीय टीम के दिग्गज खिलाड़ियों ने काफी खराब प्रदर्शन किया था। इसके चलते भारतीय टीम के खिलाफ इस मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा।
बात अगर इस मुकाबले की की जाए तो श्रीलंकन टीम के कप्तान सनत जयसूर्या ने इस मुकाबले में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज सनत जयसूर्या इस मुकाबले में मात्र 161 गेंद खेलते हुए 4 गगनचुंबी छक्के और 21 चौकों की मदद से 189 रन बनाए थे। श्रीलंकाई टीम के दूसरे सलामी बल्लेबाज रोमेश ने भी 15 रनों का योगदान किया था। सनत जयसूर्या के अलावा श्रीलंकाई टीम की तरफ से सबसे ज्यादा रन रसेल अर्नाल्ड ने बनाया था। रसेल अर्नाल्ड 62 गेंदों का सामना करते हुए 52 रन बनाए थे। इन दोनों खिलाड़ियों के अलावा श्रीलंकाई टीम का कोई अन्य खिलाड़ी क्रीज पर ज्यादा देर नहीं टिक पाया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए इस मुकाबले में श्रीलंकाई टीम 50 ओवर में 5 विकेट के नुकसान पर 299 रन बनाए थे। फाइनल मुकाबले के लिहाज से किसी भी टीम के लिए 300 रन के लक्ष्य को चेस करना काफी मुश्किल काम है। भारतीय टीम की तरफ से तेज गेंदबाज जहीर खान, सुनील जोशी, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली को एक-एक विकेट मिला था।
बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की सलामी जोड़ी ने बेहद खराब प्रदर्शन किया। सलामी बल्लेबाजी करने आए कप्तान सौरव गांगुली मात्र 3 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। दूसरे सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी कुछ खास नहीं कर पाए और मात्र 5 रन बनाए। इस मुकाबले को खेल रहे यंग इंडियन बल्लेबाज युवराज सिंह मात्र 3 रन बनाकर आउट हो गए। दूसरे मध्यक्रम के बल्लेबाज विनोद कांबली भी 3 रनों का योगदान किए। अन्य बल्लेबाजों में मात्र रोबिन सिंह ही दहाई का आंकड़ा छुए। रोबिन सिंह और 30 गेंदों का सामना करते हुए मात्र 11 रन बनाए थे। भारतीय टीम इस मुकाबले में मात्र 26.3 ओवर खेलते हुए 54 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। श्रीलंकन टीम की तरफ से तेज गेंदबाज चमिंडा वास ने 9.3 ओवर में मात्र 14 रन देते हुए पांच महत्वपूर्ण विकेट चटकाए थे। वहीं दूसरी स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन ने 6 ओवर में मात्र 6 रन देते हुए 3 विकेट लिए थे। एक और विकेट नुवान को मिला था। मुथैया मुरलीधरन इस मुकाबले में मात्र 6 ओवर की गेंदबाजी करते हुए 3 मेडन ओवर निकाले थे।
ओवरऑल देखा जाए तो भारतीय टीम इस मुकाबले में पूरी तरह विफल रही। चाहे बात गेंदबाजी की, की जाए या बल्लेबाजी की। गेंदबाजी में भी कोई गेंदबाज असरदार साबित नहीं हुआ और बल्लेबाजी में भी सभी बल्लेबाज फि’सड्डी साबित हुए। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है, जब भारतीय टीम के खिलाड़ी क्रिकेट के किसी भी फाइनल मुकाबले में खराब प्रदर्शन नहीं किए है। फाइनल मुकाबला हारना भारतीय टीम के खिलाड़ियों के लिए आम बात है।