भारतीय क्रिकेट टीम मैनेजमेंट सदियों से स्पिन गेंदबाजों के ऊपर भरोसा दिखाई हुई है। जिसके चलते भारतीय क्रिकेट टीम को एक से बढ़कर एक महान स्पिन गेंदबाज मिले हैं। कुछ महान भारतीय स्पिन गेंदबाजों के रूप में अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा महान खिलाड़ी काफी लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेले हैं और खेल रहे हैं। रविंद्र जडेजा का भारतीय टीम में शामिल होने के पहले भारतीय टीम के पास एक बाएं हाथ का बेहतरीन स्पिन गेंदबाज था, और उस गेंदबाज का नाम प्रज्ञान ओझा है। मौजूदा समय में किसी की भी खिलाड़ी के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शामिल होना काफी कठिन काम है, क्योंकि क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा दिन पर दिन काफी ज्यादा बढ़ती जा रही है। एक बार किसी खिलाड़ी का टीम में सेलेक्शन हो जाता है, तो उस खिलाड़ी को टीम में बने रहने के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करना पड़ता है। नहीं तो उस खिलाड़ी को तुरंत टीम से बाहर भी किया जाता है।
अगर कोई भी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने देश के लिए टीम में शामिल होकर क्रिकेट खेलता है, तो उस खिलाड़ी का परफॉर्मेंस ही उसे टीम के अंदर जगह बनाए रखने में मदद करता है। अगर वह खिलाड़ी 1 से 2 सीरीज में खराब प्रदर्शन करता है, तो टीम के चयनकर्ता उस खिलाड़ी के जगह किसी अन्य खिलाड़ी के रूप में विकल्प चुनना शुरू कर देते हैं। ऐसे में क्रिकेट खेलने वाले सभी खिलाड़ियों के ऊपर काफी ज्यादा दबाव रहता है। कई बार तो ऐसा भी देखा गया है, कि राजनीति के चलते अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को टीम से बाहर होना पड़ता है, और वे खिलाड़ी राजनीति का शि’कार हो जाते हैं।
कुछ ऐसा ही वाक्या पूर्व भारतीय बाएं हाथ के बेहतरीन स्पिन गेंदबाज प्रज्ञान ओझा के साथ भी हुआ है। प्रज्ञान ओझा अपने आखिरी पर इस मुकाबले में दोनों पारियों में मिलाकर कुल 10 विकेट चटकाए थे, लेकिन उसके तुरंत बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। प्रज्ञान ओझा को टीम से बाहर करने का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि उनकी गेंदबाजी एक्शन खराब थी। और जब वें अपना गेंदबाजी एक्शन सुधारे तब उन्हें टीम में दोबारा शामिल नहीं किया गया। इसी के चलते प्रज्ञान ओझा अपने आखिरी मुकाबले में 10 विकेट लेने के चलते भी भारतीय टीम से बाहर किए गए और मात्र 33 साल की उम्र में सन्यास ले लिए।
प्रज्ञान ओझा को अवैध बॉलिंग एक्शन की वजह से टीम से जब बाहर किया गया था, तो उनकी जगह भारतीय टीम में रविंद्र जडेजा को शामिल किया गया था। ऐसे में जब प्रज्ञान ओझा ने अपना बॉलिंग एक्शन सुधार किया, तब तक रविंद्र जडेजा अपने बेहतरीन फॉर्म में चल रहे थे। जिसके चलते प्रज्ञान ओझा को रविंद्र जडेजा की जगह पर दोबारा भी टीम में शामिल होने का मौका ही नहीं मिला और उनका क्रिकेट कैरियर समाप्त हो गया। वैसे कुल मिलाकर देखा जाए, तो प्रज्ञान ओझा रविंद्र जडेजा से कई गुना बेहतर गेंदबाज रहे हैं। प्रज्ञान ओझा और हरभजन सिंह के बाद भारतीय टीम को बेहतरीन स्पिन गेंदबाज मिले।
पहले स्पिन गेंदबाज के रूप में रविचंद्रन अश्विन और उनके जोड़ीदार रविंद्र जडेजा काफी लंबे समय से भारतीय टीम के लिए शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। जडेजा के चलते प्रज्ञान ओझा और रविचंद्रन अश्विन के चलते हरभजन सिंह का क्रिकेट कैरियर समय से पहले समाप्त हो गया। जब क्रिकेट खिलाड़ियों का उम्र बढ़ता है, तो चयनकर्ता उन खिलाड़ियों के जगह पर नौजवान खिलाड़ियों को टीम में शामिल करना चाहते हैं। लेकिन जब अनुभवी खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे होते हैं तो उन्हें टीम से बाहर नहीं करना चाहिए। एक समय उनकी खराब प्रदर्शन के चलते ही, उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।
काफी लंबे समय बाद प्रज्ञान ओझा के रूप में भारतीय टीम एक दो बार बाएं हाथ का बेहतरीन स्पिन गेंदबाज मिला था। लेकिन चयनकर्ताओं की वजह से प्रज्ञान ओझा का क्रिकेट कैरियर जल्दी ही समाप्त हो गया। प्रज्ञान ओझा का अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट का आखिरी मुकाबला सचिन तेंदुलकर के फेयरवेल मुकाबले में ही मिला था। इस मुकाबले की पहली पारी में प्रज्ञान ओझा मात्र 40 रन देकर पांच विकेट और दूसरी पारी में मात्र 49 रन देकर पांच विकेट चटकाए थे। जब प्रज्ञान ओझा को टीम से बाहर किया गया था उस समय भी अपने प्र’चंड फॉर्म में चल रहे थे। ऐसे में एकाएक उनका टीम से बाहर जाना चयनकर्तावों के ऊपर एक बड़ा सा या सवाल खड़ा करता है।
बात अगर प्रज्ञान ओझा के छोटे से क्रिकेट कैरियर का किया जाए तो लंबे कद के बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज प्रज्ञान ओझा भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के लिए 24 मुकाबलों की 48 पारियों में कुल 113 विकेट चटकाए थे। वनडे क्रिकेट टीम के लिए ही प्रज्ञान ओझा मात्र 18 मुकाबलों में 21 विकेट चटकाए थे। भारतीय T20 क्रिकेट टीम के लिए भी प्रज्ञान ओझा छह मुकाबले खेलते हुए 10 विकेट लिए थे। आईपीएल में प्रज्ञान ओझा काफी लंबे समय तक क्रिकेट खेले। आईपीएल में प्रज्ञान ओझा भी मुकाबले खेलते 89 विकेट चटकाए थे। कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रज्ञान ओझा एक बहुत ही बेहतरीन क्रिकेटर थे।