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हरभजन सिंह का बड़ा बयान बोले BCCI की वजह से कप्तान नहीं बन पाया

साल 2011 का विश्व कप भारतीय टीम महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीती थी। लगभग 28 सालों के बाद भारतीय टीम एक बार फिर विश्व कप का खिताब जीतने में सफल रही थी। उस समय भारतीय टीम के लिए स्पिन गेंदबाजी का जिम्मा निभाने वाले खब्बू स्पिनर हरभजन सिंह ने बड़ा रोल अदा किया था। राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के बाद भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को बनाया गया था। हरभजन सिंह ने हाल ही में मीडिया के सामने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए बोले की मैं धोनी से पहले भारतीय टीम का कप्तान बनना चाहता था। और मैं दावेदार भी था। लेकिन बीसीसीआई में मेरा कोई जुगाड़ ना होने की वजह से मुझे कप्तानी का पद नहीं मिला। हरभजन सिंह अपने बयान के दौरान कई बड़े-बड़े खुलासे भी किए। क्रिकेट नेक्स्ट मीडिया चैनल से हरभजन सिंह ने इंटरव्यू दिया था।

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अपने बयान के दौरान कप्तानी नहीं मिलने की वजह से हरभजन सिंह बोले कि अपने देश की टीम का कप्तान होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। धोनी से पहले भारतीय टीम का कप्तान मुझे बनाया जाना चाहिए था। लेकिन बीसीसीआई मैं मेरा कोई जुगाड़ नहीं था और कोई ऐसा आदमी भी नहीं था जो मेरा नाम कप्तानी के लिए पेश कर सके। इसी के चलते मैं कप्तान नहीं बन पाया। उस समय में बीसीसीआई के भी बारे में अच्छा से नहीं जानता था। BCCI में मेरा कोई भी फेवरेट नहीं था, जिसके चलते में कप्तान नहीं बन पाया।

हरभजन सिंह अपने बयान में आगे बोले कि इन सब चीजों को खुरेदने से कोई फायदा नहीं है क्योंकि वह समय बीत चुका है। लेकिन मैं टीम इंडिया का कप्तान बनाए जाने का काबिल था। क्योंकि मैं अपनी कप्तानी के दौरान टीम के अन्य कप्तानों को गाइड कर चुका था, और मुझे अच्छी तरह से पता था कि टीम को आगे कैसे लेकर जाना है। वे टीम इंडिया का कप्तान नहीं बन पाया इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मुझे इस बात का काफी पछतावा है। बतौर खिलाड़ी मैं अपने देश की सेवा किया यह मेरे लिए काफी गर्व की बात है।

अपने बयान में हरभजन सिंह आगे बोले कि साल 2011 के विश्व कप के दौरान भारतीय टीम के पास एक से बढ़कर एक अनुभवी खिलाड़ी थे। लेकिन इन सभी खिलाड़ियों को साल 2015 के विश्व कप के दौरान ज्यादा मौके नहीं मिल पाए। 2015 के वनडे विश्व कप के दौरान भारतीय टीम को एक से दो खिलाड़ियों को बदलाव कर एक जैसा टीम रखना चाहिए था, और अगर ऐसा होता तो हम लोग दोबारा विश्व कप जीत जाते। अगर 2015 का विश्व कप लोग जीते तो कई खिलाड़ी विश्व कप के तुरंत बाद संन्यास की घोषणा कर देते। इसके लिए मैं चयनकर्ता को दो’षी मानता हूं।

जब मीडिया कर्मी धोनी के लिए हरभजन सिंह से सवाल किए तो वे बोले कि मुझे महेंद्र सिंह धोनी से कोई नाराजगी नहीं है। मैं और धोनी काफी लंबे समय से जिग्रि दोस्त है। मेरा शिकायत सिर्फ बीसीसीआई से ही है। अपने बयान के दौरान हरभजन सिंह ने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी रिकी पोंटिंग, माइकल क्लार्क और मैथ्यू हेडन का खूब तारीफ करते दिखे। Harbhajan Singh का यह कहना है, कि ऑस्ट्रेलियाई टीम हमारे समय की क्रिकेट की लीडर थी। ऑस्ट्रेलियाई टीम को चैलेंज करना काफी मुश्किल था। क्योंकि उनके पास एक से बढ़कर एक बड़े खिलाड़ी मौजूद थे।

हरभजन सिंह अपने बयान में अनिल कुंबले को भी चर्चा में लाए। अनिल कुंबले के लिए हरभजन सिंह बोले कि अनिल कुंबले के लिए मेरे पास सबसे ज्यादा सम्मान है। अनिल कुंबले से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। वह मेरे सीनियर खिलाड़ी है, और मेरे कप्तान भी रह चुके हैं। उनकी भारतीय टीम में मौजूदगी के दौरान मुझे कम मौके मिले लेकिन मैं इस बात से खुश हूं। जब भी किसी मुकाबले के दौरान मेरी गेंदों पर खूब रन बनते थी, तो बड़े भाई अनिल को मिले मुझे काफी कुछ समझाते थे। अनिल कुंबले का योगदान मेरे क्रिकेट कैरियर में काफी बड़ा रहा है।

बात अगर हरभजन सिंह के सुनहरे क्रिकेट करियर का किया जाए तो हरभजन सिंह भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के लिए 103 मुकाबलों खेलते हुए 417 विकेट चटकाए थे। वही वनडे क्रिकेट टीम के लिए हरभजन सिंह 236 मुकाबले खेलते हुए 269 विकेट लिए थे। T20 क्रिकेट में भारतीय टीम के लिए 28 मुकाबले खेलते हुए हरभजन सिंह ने 25 विकेट चटकाए थे। हरभजन सिंह के क्रिकेट कैरियर के अंतिम दिनों में उन्हें काफी कम मौके मिले। मौजूदा समय में हरभजन सिंह कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम के स्पिन कोच है।

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