भारत में रहने वाले कई लोग क्रिकेटर्स को भगवान की तरह पूजते हैं, तो वहीं 1.3 अरब से भी ज्यादा लोग क्रिकेट को एक त्यौहार की तरह मनाते हैं। क्रिकेट के वजह से भारत को कई ऐसे दिग्गज खिलाड़ी मिले जिनके खेल के प्रदर्शन से भारतीय टीम को एक नई ऊंचाई मिली। इसके बावजूद कई ऐसे खिलाड़ी भी देश में जन्में जिन्हें प्रतिभाशाली होने के बावजूद अपने खेल का प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिला।
आज इस लेख में ऐसे ही कुछ खिलाड़ियों के बारे में बात करेंगे जिनको घरेलू क्रिकेट में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी टीम इंडिया में खेलने का मौका नहीं मिला। वे 5 क्रिकेटर इस प्रकार हैं, जो खेल सकते थे टीम इंडिया के लिए
सीतांशु कोटक (Sitanshu Kotak)- सौराष्ट्र के लिए खेलने वाले सीतांशु कोटक 90 के दशक में अपने बल्लेबाजी से सबको मोहित कर लिए थे। सीतांशु ने 130 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में 41.76 के औसत से 8061 रन बनाए थे और अपने फर्स्ट क्लास कैरियर में कुल 165 अर्धशतक और 55 शतक भी लगाए थे, साथ ही 70 विकेट भी झटके थे! शीतांशु कोटक ने अपने लिस्ट ए में खेले गए 89 मुकाबलों में 54 विकेट के साथ 3083 रन भी बनाए हैं। इतना ही नहीं राहुल द्रविड़ के हटने के बाद शीतांशु कोटक को इंडिया ए का मुख्य कोच भी बनाया गया था, लेकिन इस खिलाड़ी को टीम इंडिया के लिए अपना जौहर दिखाने का मौका नहीं मिला।
मिथुन मिन्हास (Mithun Minhas)- सन 1997 से 2016 तक क्रिकेट खेलने वाले मिथुन मिन्हास दिल्ली की रणजी टीम के लिए खेले हैं। आपको बता दें कि दिल्ली की टीम जब 2008 में चैंपियन बनी थी तो उस टीम के कप्तान मिथुन मिन्हास ही दिल्ली टीम के पूर्व कप्तान थे। मिथुन मिन्हास ने अपने प्रथम श्रेणी के कैरियर में कुल 157 मैच खेलें, जिसमें वे 27 शतक और 49 अर्द्धशतक के साथ 9714 रन बनाए। इतना ही नहीं रणजी ट्रॉफी में भी मिथुन ने 8554 रन बनाए हैं। 130 लिस्ट ए मैच खेलने वाले मिथुन मन्हास सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरभ गांगुली जैसे भारतीय दिग्गज के समय में ही खेल रहे थे। यही कारण है कि उन्हें अपना प्रदर्शन टीम इंडिया के लिए दिखाने का मौका नहीं मिला।
पद्माकर शिवालकर (Padmakar Shivalkar)- मुंबई की टीम रणजी की सबसे सबसे सफल टीम है, जो कुल 41 बार विजेता रह चुकी है। इसी टीम का हिस्सा रह चुके पद्माकर ने मुंबई के लिए कुल 27 सीजन खेले, जिसमें उन्होंने अपने 124 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में 589 लिए थे, उनका गेंदबाजी औसत भी बहुत ही उम्दा 19.69 था। अपने टीम के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पद्माकर ने लिस्ट ए के 12 मैचों में भी 16 विकेट लिए हैं। 42 बार एक पारी में 5 विकेट और 13 बार मैच में 10 विकेट लेने का कारनामा करने वाले इस खिलाड़ी को भी भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
अमोल मजूमदार (Amol Majumdar)- आप सबको मालूम ही है कि हैरिस शील्ड ट्रॉफी में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के बीच 664 रनों की साझेदारी हुई थी। लेकिन यह बहुत कम ही लोग जानते हैं कि उनके आउट होने के बाद अमोल मजूमदार ही बैटिंग के लिए आए थे। दाएं हाथ का इस बल्लेबाज ने कुल 171 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 11167 रन बनाए, इसमें 30 शतक और 60 अर्धशतक शामिल है। इसके साथ ही 113 लिस्ट ए मुकाबलों में उन्होंने 3286 रन भी बनाए थे, आपको यह भी बताते चलें की अपने पहले ही प्रथम श्रेणी मैच में हरियाणा के खिलाफ 260 रन बनाने वाले अमोल मजूमदार को भी टीम इंडिया में खेलने का मौका नहीं मिला।p
राजिंदर गोयल ( Rajinder Goel)- रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले रजिंदर गोयल ने सिर्फ 157 मुकाबले में 18.58 की औसत और 2.10 की इकोनॉमी के साथ कुल 750 विकेट प्राप्त किए हैं। गोयल ने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और पटियाला के लिए घरेलू क्रिकेट खेले हैं। अपने कैरियर के आखिरी 9 सीजन के साथ कुल 15 सीजन में 25 से ज्यादा विकेट हासिल करने वाले बाएं हाथ का इस स्पिन गेंदबाज को भी भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला।