क्रिकेट का खेल खिलाड़ियों के साथ-साथ दर्शकों के लिए काफी रोमांचक होता है। सभी खिलाड़ी बहुत बड़ी उम्मीद के साथ मैदान पर उतरते हैं और अपना बेहतर प्रदर्शन देने की कोशिश करते हैं। कई उसमें कामयाब होते हैं और कई नाकाम भी होते हैं। लेकिन कहा जाता है, ‘कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती’। कई बार ऐसा देखा गया है कि ऐसे खिलाड़ी जो खुद को बेहतर साबित नहीं कर पाए, कई मैचों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किए फिर भी उन्हें लगातर टीम में खेलने का मौका मिला और कई बेहतरीन प्रदर्शन देने वाले खिलाड़ी को भी भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला।
आज हम आपको भारतीय टीम के ऐसे पांच खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिनका टीम में अच्छा प्रदर्शन होने के बावजूद भी लंबे समय तक भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला। आइए जानते हैं कौन है वह धुरंधर खिलाड़ी और क्या है पूरा मामला –
गुरकीरत सिंह मान- गुरकीरत सिंह मान भारतीय टीम में पदार्पण करने के बाद अश्विन ऑलराउंडर खिलाड़ी बने। उन्हें रविंद्र जडेजा विकल्प के तौर पर भारतीय टीम में जगह मिली थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, जिसकी वजह से टीम ने उन्हें लंबे समय तक मौके नहीं दिए। गुरकीरत सिंह मान तीन एकदिवसीय मैच खेलते हुए 6.5 के औसत से 13 रन बनाए, साथ ही 6.8 के इकोनामी रेट से रन जरूर बनाए लेकिन इस मैच में वे 1 विकेट भी अपने नाम किए। इसके बाद गुरकीरत सिंह को कभी भी भारतीय टीम में मैच खेलने का मौका नहीं मिला। गुरकीरत सिंह मान का आईपीएल कैरियर की बात की जाए तो बहुत बड़ा नहीं रहा लेकिन पिछले कुछ समय से वे आईपीएल में अच्छा खेलते हुए दिख रहे हैं। मान आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की टीम में खेलते हैं। वे 2020 में अपनी टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन भी किए और टीम को उनसे और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
एमएसके प्रसाद- एमएसके प्रसाद के नाम से प्रसिद्ध खिलाड़ी मन्नावा को भारतीय टीम में जगह तो मिली लेकिन वह टीम के लिए शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाए। एक विकेटकीपर बल्लेबाज होने के कारण मन्नावा के खराब प्रदर्शन के बावजूद भी भारतीय टीम लगातार मौका देती रही। एमएसके प्रसाद को देखा जाए तो भारत के लिए 6 टेस्ट मैच में 11.78 की औसत से 106 रन बनाए, इसके बाद 17 एकदिवसीय मैच में 14.56 के औसत से 131 रन बनाए, इसमें एक अर्द्धशतक भी शामिल है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य पारियों में वह कितना रन बनाए होंगे। अपने इस प्रदर्शन के बाद मन्नावा कुछ सालों से भारतीय टीम के लिए मुख्य चयनकर्ता भी बने। देखा जाए तो जो खिलाड़ी भारतीय टीम में खेलने के लायक भी नहीं था वह मुख्य चयनकर्ता बन गया, इसके लिए बीसीसीआई को बहुत ज्यादा ट्रोल भी होना पड़ा था।
मनप्रीत गोनी- तेज गेंदबाज मनप्रीत गोनी को आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के टीम के जरिए भारतीय टीम में एंट्री मिली थी। मनप्रीत उस समय धोनी के करीबी थे, जिसके वजह से उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला। घरेलू क्रिकेट के साथ-साथ आईपीएल में भी गोनी का कभी भी लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा।
मनप्रीत गोनी के स्कोर पर नजर डालें तो वह भारतीय टीम के लिए 2 एकदिवसीय मैच खेले, जिसमें 38 के औसत से 2 विकेट चटकाए। हालांकी आईपीएल में वह 44 मैच खेलते हुए मात्र 37 विकेट ही ले पाए थे। जबकि गोनी का इकोनामी बेहद खराब 8.7 की रही। घरेलू क्रिकेट में गोनी पंजाब के टीम के लिए खेलते हुए नजर आए लेकिन वहां भी वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। गोनी को भारतीय टीम में जगह तो मिली लेकिन वह खुद को अच्छा साबित नहीं कर पाए, फिर भी भारतीय टीम का खिलाड़ी होने का टैग आज भी उनके नाम है। गोनी अब क्रिकेट से संन्यास लेने का भी फैसला कर चुके हैं।
सुदीप त्यागी- सुदीप त्यागी को भी भारतीय टीम का खिलाड़ी होने का मौका मिला है लेकिन घरेलू क्रिकेट और आईपीएल दोनों में कहीं भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। इसके बाद भी उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला जो सरासर गलत फैसला था। सुदीप त्यागी भारतीय टीम में चार एकदिवसीय मैच खेलते हुए 48 की औसत से मात्र 3 विकेट अपने नाम किए, जबकि एक टी-20 मैच में 10.5 की एक इकोनॉमी रेट से रन बनाए, जिसमें एक भी विकेट नहीं लिए। त्यागी को भारतीय टीम में खेलने का मौका उस समय भी मिला जब वे इस लायक नहीं थे। जब महेंद्र सिंह धोनी आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान बने उस समय सुदीप त्यागी को आईपीएल में उनकी टीम के लिए खेलने का मौका मिला इसी वजह से त्यागी को भारतीय टीम में भी खेलने का मौका मिला लेकिन वह इसमें अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं दे पाए।
वी आरवी सिंह- वीआरवी सिंह को भारतीय टीम में ऑलराउंडर के रूप में खेलने का मौका मिला, उनका घरेलू क्रिकेट का रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं रहा। लेकिन इसके बावजूद भी ऑलराउंडर गेंदबाज होने के कारण उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका दिया गया लेकिन वे इस उम्मीद पर खड़ा नहीं उतर पाए। वी आरवी सिंह भारतीय टीम के लिए 5 टेस्ट मैच खेले जिसमें वे बल्लेबाज़ी के दौरान 11.75 के औसत से 47 रन बनाए और गेंदबाजी के दौरान 53.38 की औसत से 8 विकेट ही अपने नाम किए। इतना ही नहीं वे दो एकदिवसीय मैच खेलते हुए 1 विकेट भी अपने नाम नहीं कर पाए और उनके बल्ले से मात्र 8 के औसत से 8 रन ही बने। वी आरवी सिंह को IPL में भी खेलने का मौका मिला वहां भी वे बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। इसी वजह से उनका क्रिकेट कैरियर बहुत कम दिनों का रहा लेकिन भारतीय टीम के खिलाड़ी होने का टैग हमेशा के लिए उनके साथ है।