सभी खिलाड़ी अपने मन में एक बड़ी आस लेकर क्रिकेट में डेब्यू करते हैं और अपना शानदार प्रदर्शन देने की भरपूर कोशिश भी करते हैं। कईयों के लिए उनका डेब्यू वरदान साबित होता है और कईयों के लिए किसी फॉर्मेट में आखिरी मुकाबला भी बन जाता है। जैसे कई भारतीय खिलाड़ियों के लिए उनका एकदिवसीय मैच में डेब्यू मुकाबला ही उनका आखिरी मुकाबला बन गया। आज हम ऐसे ही 10 भारतीय खिलाड़ियों के बारे में जानेंगे जिनका पहला एकदिवसीय मैच आखिरी एकदिवसीय मैच बन गया।
फैज फजल- भारतीय टीम के बाएं हाथ के बल्लेबाज फौज फजल एक बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। फैज फजल का रिकॉर्ड देखा जाए तो वे राजस्थान रॉयल्स के लिए आईपीएल में भी खेल चुके हैं। वे 2015-16 में देवधर ट्रॉफी में भी भारतीय टीम के लिए फाइनल मुकाबले में खेलते हुए 112 गेंद में 100 रन बनाए। 2015-16 में हुए ईरानी कप में मुंबई के खिलाफ खेलते हुए फजल ने 127 रन बनाए। वे 2018-19 में भारतीय टीम के लिए दलीप ट्रॉफी दिलाए। वे अपना पहला वनडे मुकाबला जिंबाब्वे के खिलाफ हुए मुकाबले में खेले, जिसमें 90.16 के स्ट्राइक रेट से 61 गेंदों पर 55 रन बनाए। उनका यह मुक़ाबला आखिरी एकदिवसीय मुकाबला ही रह गया।
परवेज रसूल- परवेज रसूल दाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफब्रेक गेंदबाज भी हैं, जिसके लिए उन्हें ऑलराउंडर भी कहा जाता है। 2014 आईपीएल की नीलामी में उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद ने 9500000 में खरीदा। परवेज रसूल जम्मू कश्मीर के पहले ऐसे क्रिकेटर थे जो आईपीएल में खेले। वे अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला 2015 में बांग्लादेश के खिलाफ खेले, जिसमें गेंदबाजी के दौरान 30 की औसत से 2 विकेट झटके। यह मुकाबला परवेज रसूल के लिए पहला और आखिरी एकदिवसीय मुक़ाबला साबित हुआ।
पंकज सिंह- भारतीय टीम के तेज गेंदबाज रह चुके पंकज सिंह 2018 में रणजी ट्रॉफी में 400 विकेट लेने वाले पहले सीम गेंदबाज थे। आईपीएल में पंकज राजस्थान रॉयल्स की टीम के लिए खेलते हैं। वे अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला श्रीलंका के खिलाफ खेले, जिसमें 42 गेंदों में 45 रन बनाए और एक भी विकेट नहीं लिए। यह उनका पहला और आखिरी एकदिवसीय मुकाबला रहा।
अभिजीत कले- दाएं हाथ के धाकड़ बल्लेबाज और ऑफब्रेक गेंदबाज रह चुके अभिजित काले न्यूजीलैंड के खिलाफ हुए मुकाबले में भारतीय टीम के लिए अपना डेब्यू किए। अभिजीत को एक भी T20 मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला और उनका पहला एकदिवसीय मुकाबला भी आखिरी एकदिवसीय मुकाबला रहा। वे अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ खेले और बल्लेबाजी करते हुए 10 की औसत से 22 गेंदों पर 10 रन बनाए।
डोडा गणेश- भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज डोडा गणेश प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 104 मैचों में 365 विकेट लिए। वर्तमान में वे भारतीय टीम के मुख्य कोच के लिए भी आवेदन किए हैं, जिसके रिजल्ट के लिए वे अभी इंतजार कर रहे हैं। वे अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला 1997 में जिंबाब्वे के खिलाफ खेले जो उनके लिए आखिरी मुकाबला ही रहा।
पंकज धर्मानी- भारतीय टीम के ऑलराउंडर रह चुके पंकज धर्मानी 2008 में आईपीएल में भी खेले थे। वे पंजाब के लिए 1992-93 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में महाराष्ट्र के खिलाफ अपना डेब्यू किए थे। धर्मानी को भी एकदिवसीय मुकाबला 1996 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलने का मौका मिला। जिसमें उन्हें गेंदबाजी करने का मौका नहीं मिला लेकिन बल्लेबाजी के दौरान वे 8 गेंदों में 8 रन ही बना पाए। इसी खराब प्रदर्शन की वजह से उन्हें कोई भी एकदिवसीय मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिला और यह उनका आखिरी मुकाबला साबित हुआ।
गुरशरण सिंह- गुरशरण सिंह दाएं हाथ के बल्लेबाज थे। वे अपने विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए भी जाने जाते हैं। उन्हें अरुणाचल प्रदेश क्रिकेट टीम के लिए कोच बनने का भी मौका मिला था। वे टेस्ट और एकदिवसीय दोनों मुकाबले में अपना डेब्यू तो किए लेकिन उनका भी एकदिवसीय मुकाबला आखिरी ही रहा। 1990 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय मुकाबले में खेलते हुए गुरुशरण ने 10 गेंदों पर मात्र 4 रन ही बनाए।
मरगाश्याम वेंकटरामन- मरगाश्याम वेंकटरामन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में तमिलनाडु के लिए खेले थे। वे 1987-88 के रणजी ट्रॉफी में अपना डेब्यू किए। मरगाश्याम अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला 1988 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले,जिसमें 18 की औसत से 2 विकेट अपने नाम किए और यह उनका आखिरी एकदिवसीय मुकाबला भी रह गया।
सुधाकर राव- सुधाकर राव रणजी में 1975-76 सेशन के दौरान पांच पारियों में 449 रन बनाए। वे अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले, जिसमें 14 गेंदों में सिर्फ 4 रन ही बना पाए। इस खराब प्रदर्शन के वजह से उनका यह मुकाबला आखिरी एकदिवसीय मुकाबला भी बन गया।
बी. एस. चंद्रशेखर- पूर्व भारतीय क्रिकेटर बी. एस. चंद्रशेखर एक लेग स्पिनर के रूप में अपना प्रदर्शन दिए हैं। चंद्रशेखर 58 टेस्ट मुकाबले खेले हैं, जिसमें 29.74 की औसत से 242 विकेट अपने नाम किए हैं। क्रिकेट में उनका योगदान 16 सालों तक रहा है। वे एक मात्र ऐसे क्रिकेटर हैं, जो पूरे टेस्ट और प्रथम श्रेणी कैरियर में रन बनाने में सबसे ज्यादा विकेट अपने नाम किए हैं। उन्हें 1972 में पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। चंद्रशेखर अपना पहला एकदिवसीय मुकाबला 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले हैं, जिसमें गेंदबाजी के दौरान 12 के औसत से 36 रन बनाकर 3 विकेट भी झटके और बल्लेबाजी में 13 गेंदों पर 11 रन बनाए। उनका भी यह आखिरी एकदिवसीय मुकाबला साबित हुआ।